भाषणों का दौर है
उम्मीदों का पुल बँध रहा है
कोई देश भक्त बन रहा है
तो कोई देश द्रोही
हर तरफ़ सिर्फ शोर है
भाषणों का दौर है ।
भाषण हो रहा है मंदिर में
भाषण हो रहा है मस्जिद में
भाषण हो रहा देश में
भाषण हो रहा है विदेश में
भाषण हो रहा विद्यालय में
भाषण हो रहा है संसद में
लेकिन देश नहीँ चलता
सिर्फ़ भाषणों से
रोटी नहीँ मिलती
सिर्फ़ भाषणों से
विकास नहीँ होता
सिर्फ़ भाषणों से
समाजिक सौहार्द नहीँ बढ़ता
सिर्फ़ भाषणों से
गरीब का पेट नहीँ भरता
सिर्फ़ भाषणों से
और , दुनिया नहीँ चलने वाली
सिर्फ़ भाषणों से.....
Sandeep dubey..
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