माँ बाप अँधेरे में जिंदगी बिता रहें हैं
साहब आई फोन लिये उड़े जा रहें हैं ।
पढाई लिखाई तो बस एक बहाना है
नेतागीरी सीखकर जनता को बेवकूफ बनाना है ।
आज कल सबसे बड़ा पेशा बन गया है
नेता बनकर भाषण देना, बाबा बनकर प्रवचन देना।
आत्ममुग्धता और आत्मविश्वास की हद तो देखिये
मिली हैं तीन सीटें, और कहते थे की हमीं राजा बनेंगे।
कुछ तो खास है दीदी में और अम्मा में
बंगाली और मद्रासी इन्हे ताज पहना ही देते हैं ।
सरकार कोई भी हो, क्या फर्क पड़ता है
जो कल सड़क पे सोता था वो आज़ भी वहीँ सोता है ।
छोड़ो यार जाने भी दो ये राजनीति की बातें
औकात चवन्नी है , इससे ज्यादा दाल रोटी ज़रूरी है ।
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