Sunday, 27 March 2016

Pinki Ki Holi !! पिंकी की होली


पिंकी इस बार बढ़िया क्वालिटी की पिचकारी और गुलाल खरीद कर लाई थी अपने बेटे गोलू के लिये । इस बार पाँच साल बाद वह अपने मायके में थी  होली मनाने के लिये । वह बहुत  खुश थी , और हो भी क्यों न । पिछले पाँच वर्षों से सूरत में थी इस बार होली में आने   का अवसर मिला । पिंकी के पति राजकुमार सूरत में नौकरी करते हैं और इस बार सपरिवार ससुराल में होली मनाने की तैयारी में हैं । ससुराल में खुशी का माहौल है । उधर मिश्रा जी भी अपने पोते गोलू के साथ खेल रहें हैं, और मन ही मन प्रसन्न हो रहें हैं ।
लोगों का आना जाना शुरू हो रहा है और हर तरफ़ बस होली है की आवाज़ सुनाई दें रही है । गोलू अब छत के ऊपर अपनी पिचकारी ले कर सड़क पर हर आने जाने वाले को अपना शिकार बनाने की कोशिश कर रहा है ।
थोड़ी देर बाद नगाडो और ढोल की ताल सुनाई देने लगी । लोग फाल्गुन के फाग गाते बजाते हुवे एक दूसरे  पर रंग अबीर लगा रहे थे और नाचते गाते हुवे आ रहें थे । जब लोगों की ये टोली मिश्रा जी के दरवाजे पर पहुंची तो पिंकी गुजिया और कचोडि से भरा प्लेट मिश्रा जी को देकर जल्दी से घर के अंदर भागी । लोग मिश्रा जी को और राजकुमार को खूब रंगो से सराबोर करने में लगे थे तभी पप्पू की नज़र पिंकी पर पड़ी जो खिड़की से बाहर का ये सब नजारा देख रही थी । पप्पू पिछले कई सालों से पिंकी को देख नहीँ पाया था । लेकिन पिंकी को देखते ही उसके हाथो से गुलाबी गुलाल ज़मीन पर गिर गय़ा । भीड़ गाते  बजाते चली गई और अपने साथ राजकुमार को भी ले गई । पप्पू बेसुध सा हो गया , उसकी होली दिवाली सब  अपने बचपन के प्यार को देखते ही फीकी होने लगी थी । तभी रंगो की पतली सी धार  उसके चेहरे और शर्ट पर पड़ी , उसने चौंक  कर ऊपर देखा एक छोटा  सा लड़का  अपनी पिचकारी से रंग बरसा रहा था ,और तभी कमरे के अंदर से आवाज़ आई , अरे बेटा गोलू बस करो कितना रंग खेलोगे , पिंकी ने खिड़की बँद करते हुवे कहा । पप्पू अब वापस अपने घर की तरफ़ लौटने लगा था । थोड़ी दूर चलने के बाद उसने पीछे मुड़ के देखा पिंकी छत पर खड़ी होकर पप्पू को देख रही थी । सड़क सुनसान हो चली थी और  पप्पू का गुलाबी गुलाल सड़क पर  बिखरा हुवा था ।
शाम हो चली थी अभी तक राजकुमार का कोई पता नहीँ था । लोग अब नहा धोकर होली की खूबसूरत शाम का आनंद ले रहें थे । राजकुमार बहुत ज्यादा शराब पीता था और आज भी पीकर घर से थोड़ी दूर गिरा पड़ा था । पिंकी और घर वाले काफी परेशान हो रहें थे तभी पप्पू किसी तरह राजकुमार को पकड़ कर मिश्र जी के बरामदे में लेकर आया । राजकुमार काफी नशे में था और वहीँ गिर पड़ा । तभी पिंकी दौड़ते हुवे आई और अपने पति को उठाने की कोशिश करने लगी लेकीन अकेले उठाना काफी मुश्किल था । तभी पप्पू ने दूसरी तरफ़ से हाथ बढ़ाया । पिंकी ने पप्पू को देखा और अपने आँसू गिरने से रोक न सकी । 

Thursday, 24 March 2016

Ankho Me Kajal

अपनी इन खूबसूरत आँखों में काजल तो लगा लिया करो ।
कम से कम किसी कि नजर तो नहीं लगेगी ।।

Puraskar Wapsi पुरस्कार वापसी

महान कवि या साहित्यकार हैं आप
पुरस्कृत किया गया था कभी आपको
आपकी प्रतिभा के लिए 
लेकिन उसे लौटा दिया आपने

आैर खुद ही बता दिया जग को 
कि आप सच में कितने काबिल हैं ।।

Bhashano Ka Daur Hai भाषणों का दौर है

भाषणों का दौर है
उम्मीदों का पुल बँध रहा है

कोई देश भक्त बन रहा है 
तो कोई देश द्रोही
हर तरफ़ सिर्फ शोर है
भाषणों का दौर है ।
भाषण हो रहा है मंदिर में
भाषण हो रहा है मस्जिद में
भाषण हो रहा देश में
भाषण हो रहा है विदेश में
भाषण हो रहा विद्यालय में
भाषण हो रहा है संसद में
लेकिन देश नहीँ चलता
सिर्फ़ भाषणों से
रोटी नहीँ मिलती
सिर्फ़ भाषणों से
विकास नहीँ होता
सिर्फ़ भाषणों से
समाजिक सौहार्द नहीँ बढ़ता
सिर्फ़ भाषणों से
गरीब का पेट नहीँ भरता
सिर्फ़ भाषणों से
और , दुनिया नहीँ चलने वाली
सिर्फ़ भाषणों से.....
Sandeep dubey..