नफरत की लपटों में,
वहशीपन की ज्वाला में ,
वैमनस्यता की आग में ,
जल रही है मानवता ,
सुलग रही है मनुष्यता !!
इस मलिन विचार को उखाड़ फेको ,
ये दूषित विचारधारा को निकल फेको ,
ये नफरत के बीज बोना बंद कर दो ,
ये रक्तपात और खूनी खेल भी बंद कर दो ,
ये धार्मिक उन्माद भी बंद कर दो ,
ये लोगो में सामाजिक जहर घोलना बंद कर दो !!
जब ये सबको मालूम है कि,
तुम दोनों एक ही डाल के दो शाख हो ,
ये बात तुम दोनों को भी मालूम है !
फिर इतना जुल्म क्यों ?
फिर इतना वहशीपन क्यों ?
फिर ये खूनी खेल क्यों ?
फिर ये धार्मिक उन्माद क्यों ?
फिर ये मंदिर मस्जिद पे लड़ना क्यों ?
फिर ये भाई चारे में दुश्मनी क्यों ?
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