Wednesday, 19 February 2014

Ummid

बड़ी  उम्मीद थी  कि  हमारे आँगन में भी  बरसात की बूंदे टपकेंगी !
पर शायद इस बार सावन ही मुझसे रुसवा हो गया !!


Monday, 10 February 2014

Khwahish - The Most Romantic Poem

ये जो तीरे नज़र है तुम्हारी सनम,
देखता रहू बस इसे हर छण हर दम!
तेरी मदमस्त आँखों का दीवाना हू मै,
तेरी दिलकश अदाओं का तराना हू मै!

इन झील सी आँखों में डूबने की ख्वाहिश,
इस चाँद से चेहरे को देखने की ख्वाहिश!
दिल में बस यही एक आरजू लिए,
भटकता रहू मै बस भ्रमर की तरह!

इस मधुमती सौंदर्य पे भ्रमण करने की ख्वाहिश,
तेरी रेशमी जुल्फों से खेलने की ख्वाहिश,
तेरी इन प्यारी आँखों में बस जाने की ख्वाहिश!
तेरी चूडियों की झंकार बन जाने की ख्वाहिश,
तेरे पायलों की आवाज बन जाने की ख्वाहिश,

तेरे सुर्ख होठो पे झरना सा बसाने की ख्वाहिश,
तेरे दिल से अपने दिल को लगाने की ख्वाहिश,
तुझे अपने बाहों में भर लेने की ख्वाहिश,
तुझ पर सारी खुशियाँ लुटाने की ख्वाहिश,

तेरे माथे की बिंदिया बन चमकने की ख्वाहिश,
तेरी रातरानी जुल्फों को महकाने की ख्वाहिश,
तेरे यौवन को स्वर्ण सा बनाने की ख्वाहिश,
तेरी कोयल सी आवाज को दिल में सामने की ख्वाहिश,
तेरी दिल की धड़कन बन जाने की ख्वाहिश,
तेरे लबो पे हर पल मुस्कराहट लाने की ख्वाहिश,

तेरी जुल्फों की घटाओं में खो जाने की ख्वाहिश,
तेरे मादक अदाओं में डूब जाने की ख्वाहिश,
बारिश में तेरे संग भीगने की ख्वाहिश,
सर्दी में चादर बन तुझे ढक लेने की ख्वाहिश,

मोहब्बत की तालीम पढ़ने की ख्वाहिश,
तेरे पग शूल को हाथो से निकलने की ख्वाहिश,
दिन की शुरुआत तेरे हसते हुव़े चेहरे से करने की ख्वाहिश,
सुहानी शाम तेरे संग बिताने की ख्वाहिश,

तेरे ख्वाबो की दुनिया बसाने की ख्वाहिश,
उस दुनिया का राजकुमार बन पाने की ख्वाहिश,
तेरे रूह को रूह से मिलाने की ख्वाहिश,

तेरी हथेलियों पे सर रखकर सो जाने की ख्वाहिश,
तेरे सुख दुःख का साथी बन जाने की ख्वाहिश,
तुझे दुनिया की बुरी नज़रो से बचाने की ख्वाहिश,

तुझे सावन में संगीत सुनाने की ख्वाहिश,
पर्वतो पे तेरे संग घुमने की ख्वाहिश,
समुन्दर की लहरों में संग भीगने की ख्वाहिश,
जन्नत तेरे कदमो में रख देने की ख्वाहिश,
तेरे संग आशियाना बसने की ख्वाहिश,
तेरे श्रिंगार का देवता बन जाने की ख्वाहिश,

ख्वाहिशो का समुन्दर लहरा रहा मेरे दिल में,
अरमानो की दरिया बही जा रही मेरे मन में,
न जाने वो दिलकश घड़ी कब आएगी!
ना मालुम ये सुहाना सफ़र कब तय होगा,
जहाँ मेरी ख्वाहिशे तेरी ख्वाहिशो में बदल जाएगी,
जहा मेरे साथ तू होगी और ये तेरा दिल होगा! !

Sandeep Dubey

Friday, 7 February 2014

Behtar

अगर याद उसकी  आती   है,
तो उसके ग़म को आंसुओ में बहाना ही बेहतर ।
उसके बनाये नगमे को,
अपने प्यार का गीत बनाना ही बेहतर ।
ये किस्मत भी कितनी जालिम है ,
जिसने हमारे प्यार को परवान न चढ़ने दिया,
इस जहाँ को खुदा  किस्मत न देता अगर ,
तो शायद हम होते "बेहतर "||