साथ साथ चलते चलते यूँ ही ,
राहे जुदा हो जाती है
कभी कभी !
ये रुखसत का आलम भी आ जाता है यूँ ही ,
कभी कभी !
ये पहले से मालूम नहीं होता ,
फिर बीच में जुदा होना पड़ता है ,
कभी कभी !
ये हसीं ख्वाब भी टूटते नज़र आते है ,
कभी कभी !
क्युकि राहे मोहब्बत भी जुदा हो जाती है,
कभी कभी !!!!!!